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Saturday, 29 November 2014

ज़िंदगी

जब ज़िंदगी ने दस्तक दी
हम ज़िंदगी से किनारा कर चुके थे
अपने हो गये थे .खफा और बेगाने हो गये थे
यह कैसा था हुआ  सितम
सारे पेमाने टूट कर चूर हो गये थे 

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