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Saturday 29 November 2014

ज़िंदगी

जब ज़िंदगी ने दस्तक दी
हम ज़िंदगी से किनारा कर चुके थे
अपने हो गये थे .खफा और बेगाने हो गये थे
यह कैसा था हुआ  सितम
सारे पेमाने टूट कर चूर हो गये थे 

Monday 20 October 2014

जब कोई पत्ता

जब कोई पत्ता पेड़ से जुदा होता है
आँख से कोई आँसू निकलता है
शबनम भी रोती है फूलों पे
एक अजीब सा गम
चारो ओर छाया है 

Thursday 17 April 2014

दरवाजे पे

 मैने दरवाजे पे अपने
कब यह लिखा था
दस्तक मत देना
आवाज़ भी ना देना
मैने तो तुमसे यही कहा था
दरवाज़ा खुला रहेगा
बस तुम्हारा इंतेज़ार है

Tuesday 4 February 2014

यह किसने जाना है

यह किसने जाना है
जान ना पाया है कोई
हर कोई अंजाना है
आया है तू कहा से
कहाँ तुझे अब जाना है